नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ एक नयी शुरुआत की कोशिश है.
यह हर तीन पंक्तियाँ आपसे कुछ कहने की इक्च्छा रखती हैं. आशा है आपको पसंद
आएँगी.
मेहनत को मेरी यूँ जाया ना करो
उन पत्थरों को मत निकालो
जो पानी मुहाने पर लाए हैं.
कमीज़ों की तारीफ सही है
पर गिरहबानो मैं भी झाँको.
अंदर जिसने कई जाहिल छुपाए हैं.
उन सूरतों को मत सराहो,
जिसकी सीरत ही खाक हो.
इस उजाले मैं कई स्याह दिल समाएँ हैं.
बयारें बहती है बहुत
पर उस महक को पहचानो.
साँसों से उतरकर जिसने कदम लड़खड़ाए हैं.
उस सोंच को पालो
जो तुम्हारी चादर मैं उघारी न हो
ना आसरा दो उसे जिससे चादर रुमाल नज़र आए हैं.
सब कुछ भुला देना
दीवानगी बुरी नही बिल्कुल
इश्क़ और ईश्वर दीवानों को ही मिल पाए हैं.
अनुराग पांडेय
यह हर तीन पंक्तियाँ आपसे कुछ कहने की इक्च्छा रखती हैं. आशा है आपको पसंद
आएँगी.
मेहनत को मेरी यूँ जाया ना करो
उन पत्थरों को मत निकालो
जो पानी मुहाने पर लाए हैं.
कमीज़ों की तारीफ सही है
पर गिरहबानो मैं भी झाँको.
अंदर जिसने कई जाहिल छुपाए हैं.
उन सूरतों को मत सराहो,
जिसकी सीरत ही खाक हो.
इस उजाले मैं कई स्याह दिल समाएँ हैं.
बयारें बहती है बहुत
पर उस महक को पहचानो.
साँसों से उतरकर जिसने कदम लड़खड़ाए हैं.
उस सोंच को पालो
जो तुम्हारी चादर मैं उघारी न हो
ना आसरा दो उसे जिससे चादर रुमाल नज़र आए हैं.
सब कुछ भुला देना
दीवानगी बुरी नही बिल्कुल
इश्क़ और ईश्वर दीवानों को ही मिल पाए हैं.
अनुराग पांडेय