समय समय के अनुसारों मैं
निस दिन फँसता मझधारों मे
अविरत पतवार चलाता हूँ
माँ मैं दूर देश को जाता हूँ - २
रंग उत्सव की मधुर है बेला
मैं इस पार नितांत अकेला
सिर्फ़ श्वेत श्याम रह जाता हूँ
माँ मैं दूर देश को जाता हूँ - २
माँ मैं दूर देश को जाता हूँ - २
वहाँ रोचना राखी टीका
इधर मेरा उल्लास भी फीका
रेशम के तारों से खिंच भी नही मैं पाता हूँ
माँ मैं दूर देश को जाता हूँ - २
इधर मेरा उल्लास भी फीका
रेशम के तारों से खिंच भी नही मैं पाता हूँ
माँ मैं दूर देश को जाता हूँ - २
दूर दिवाली की झिलमिल से
शांत सूक्च्म से काठ के घर मे
एक दीप मैं भी जलाता हूँ
माँ मैं दूर देश को जाता हूँ - २
शांत सूक्च्म से काठ के घर मे
एक दीप मैं भी जलाता हूँ
माँ मैं दूर देश को जाता हूँ - २
वो बहना के हान्थ की मेहंदी
अपना हो घर के सपने
अर्थजगत मे पिसता जाता हूँ
माँ मैं दूर देश को जाता हूँ - २
अपना हो घर के सपने
अर्थजगत मे पिसता जाता हूँ
माँ मैं दूर देश को जाता हूँ - २
मैं पाषाण नही हूँ माता
वर्षपूर्ण एक ही अवसर आता
पितृ चरणों को जा छू पाता हूँ
माँ मैं दूर देश को जाता हूँ - २
वर्षपूर्ण एक ही अवसर आता
पितृ चरणों को जा छू पाता हूँ
माँ मैं दूर देश को जाता हूँ - २
प्रियजनो की बुझती आँखें
दरवाजे की ओर ही ताकें.
........................................
क्या देख नही मैं पाऊँगा
क्या मिल भी नही मैं पाऊँगा
.......................................
मैं दौड़ा भागा जाता हूँ
माँ मैं दूर देश से आता हूँ
माँ मैं जल्दी आता हूँ - २
दरवाजे की ओर ही ताकें.
........................................
क्या देख नही मैं पाऊँगा
क्या मिल भी नही मैं पाऊँगा
.......................................
मैं दौड़ा भागा जाता हूँ
माँ मैं दूर देश से आता हूँ
माँ मैं जल्दी आता हूँ - २
अनुराग पांडेय
लेखनी की ताकत कागज़ पर ही सही दिखती तो दिल और आँखों में ही है
ReplyDeleteतुम्हारी लिखावट में एक सच्चाई है.
bhaav se bharpoor hai yeh kavita. aankhe chalka dene vaale se bhaav.
ReplyDeleteand i liked that the poet has tried to not to just give a message, but also "conclude" it, by saying
मैं दौड़ा भागा जाता हूँ
माँ मैं दूर देश से आता हूँ
माँ मैं जल्दी आता हूँ - २
bahut acchi rachna hai. dil ke paas rakhne wali.
सुंदर कविता, प्रवासी भारतीयों की स्थिति का सजीव चित्रण
ReplyDeleteBhai itni jaandaar kavita hai... Rongte khade ho gaye.. :) Bahut shaandaaar...
ReplyDeleteKaise bhool sakta hoon is kavita hoon...maine iska live performance dekha hai...aur aap sab maane ya na maaine...Anurag ne jis passion aur feelings se deliver kiya tha...it was just awesome!!! i was privileged that i took his photo during this performance!!!
ReplyDeleteSundar...ati sundar
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