अपनों से दूर होने का गम सबको होता है. मुझे भी है, कुछ अल्फ़ाज़ बटोरे हैं इस हाल
को ब्यान करने के लिए. उम्मीद है आपकी दाद के काबिल होंगे -
कुछ हुआ यूँ की वो मेरी तरफ आये,
करीब बैठे फिर हौले से मुस्कुराए.
यूँ ऊँगली आसमाँ की तरफ करके,
तारों को जोड़ कर चित्र बनाए.
अधखिले चाँद की कांख पर
फिर झूला भी झूल कर आए.
वो तेरे हाँथो की जुम्बिश थी,
जो बदन पर सिरहन का न ज़ोर था.
खामोशी मे दो पत्थर
पत्थर पर हम और समंदर का शोर था.
मुलाकात कुछ ऐसी थी
की लफ़्ज़ों की हमे ज़रूरत न थी
दो जोड़ी पलकें यूँ झपककर
खुद करती हमारे हाल ब्यान थी
वक़्त की रेत, सुबह का अंदेशा
मुट्ठी से फिसलकर जा रहा था
थम नही जाता क्यूँ ये मंज़र
ये अहसास हमे और करीब ला रहा था.
ख्वाब था शायद, ख्वाब ही है
आजकल ख्वाब भी आने लगे हैं.
आँखें तो बंद रहती हैं
पर ख्वाबों मे हम कुछ दूर जाने लगे हैं.
अनुराग पांडेय
को ब्यान करने के लिए. उम्मीद है आपकी दाद के काबिल होंगे -
कुछ हुआ यूँ की वो मेरी तरफ आये,
करीब बैठे फिर हौले से मुस्कुराए.
यूँ ऊँगली आसमाँ की तरफ करके,
तारों को जोड़ कर चित्र बनाए.
अधखिले चाँद की कांख पर
फिर झूला भी झूल कर आए.
वो तेरे हाँथो की जुम्बिश थी,
जो बदन पर सिरहन का न ज़ोर था.
खामोशी मे दो पत्थर
पत्थर पर हम और समंदर का शोर था.
मुलाकात कुछ ऐसी थी
की लफ़्ज़ों की हमे ज़रूरत न थी
दो जोड़ी पलकें यूँ झपककर
खुद करती हमारे हाल ब्यान थी
वक़्त की रेत, सुबह का अंदेशा
मुट्ठी से फिसलकर जा रहा था
थम नही जाता क्यूँ ये मंज़र
ये अहसास हमे और करीब ला रहा था.
ख्वाब था शायद, ख्वाब ही है
आजकल ख्वाब भी आने लगे हैं.
आँखें तो बंद रहती हैं
पर ख्वाबों मे हम कुछ दूर जाने लगे हैं.
अनुराग पांडेय
Awesome dude...
ReplyDeleteIts marvelous,splendid..........
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