Thursday, June 30, 2011

रेखा वापस वहीं बढ़ा देंगे

बल भरकर भुजाओं मे हमने
आज उन्हे ललकारा है,
सरकारों के सरताजों ने,
भी खूब उन्हे फटकारा है

ना आँख धरो उस वादी पर
जो खुद जन्नत कहलाती है
जिस जगह की ठंडी हवाओं मे
केसर खुद घुल जाती है

वो भूमि हमारी गगन हमारा
हर तिनका हिन्दुस्तानी है
काट गिरा देंगे उस सिर को
जो कहेगा यह बेमानी है

किराए के हथियारों पर
दहशतगर्दी करना ठीक नही
अमन शांति के मकसद को
कमजोर समझना ठीक नही

एक आवाज़ पर भारत माँ की
बच्चा बच्चा बलि चढ़ा देगा
जो नक्शा ऊपर काट दिया है
वो रेखा वापस वहीं बढ़ा देगा.

                    अनुराग पांडेय

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