एक मित्र का स्थान जीवन मे सर्वोत्तम माना गया है| जो निस्वार्थ भाव से आपकी प्रसन्नता मे सम्मिलित हो, जो सेवार्थ भाव से दुख मे आपकी सहायता करे वही उत्तम मित्र है | मेल मिलाप विरह जीवन के अंग हैं | मित्र भी मिलते हैं, कुछ समय के लिए दूर होते हैं, पर उनका स्थान हृदय मे अद्वितीय रहता है | यह रचना समर्पित कर रहा हूँ ऐसे ही एक मित्र पर, जो कुछ प्रहर बाद जापान से विदा लेगा -
क्यूँ व्यथित हृदय से विदा करूँ,
कर्तव्य मित्र का अदा करूँ|
आँखों मे न अश्रु का वास हो,
मुखमंडल पर उल्लास हो|
यश कीर्ति संग तेरे भ्रमण करें,
वैभव विद्या गृह रमण करें|
हर सुबह तेरी फलदायी हो,
यह सृष्टि तेरी अनुयायी हो|
तुम बनो उदाहरण जन जन के,
प्रिय रहो हमेशा कण कण के|
प्रतिभा बहु आयाम विभाजित हो,
रिपु समर सदैव पराजित हों|
हे ईश विनती यह मेरी सुने,
अपने प्रियजन मे तुझे चुने|
पदवी तेरी उत्तम गगन सी हो,
प्रगति तीव्र तेरी 'पवन' सी हो|
अनुराग पांडेय
क्यूँ व्यथित हृदय से विदा करूँ,
कर्तव्य मित्र का अदा करूँ|
आँखों मे न अश्रु का वास हो,
मुखमंडल पर उल्लास हो|
यश कीर्ति संग तेरे भ्रमण करें,
वैभव विद्या गृह रमण करें|
हर सुबह तेरी फलदायी हो,
यह सृष्टि तेरी अनुयायी हो|
तुम बनो उदाहरण जन जन के,
प्रिय रहो हमेशा कण कण के|
प्रतिभा बहु आयाम विभाजित हो,
रिपु समर सदैव पराजित हों|
हे ईश विनती यह मेरी सुने,
अपने प्रियजन मे तुझे चुने|
पदवी तेरी उत्तम गगन सी हो,
प्रगति तीव्र तेरी 'पवन' सी हो|
अनुराग पांडेय
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