आपके मोहल्ले मे या यूँ कहूँ सबके मोहल्ले मे यह लड़ाइयाँ होती रहती हैं. चौपायों के लड़ने के पीछे की भावना हमे समझ मे नही आती है. वो मरते भी हैं तो हमे फ़र्क नही पड़ता जब तक वो आपके घर के सदस्य समान ना हों. ऐसी ही एक भावना और उससे जुड़ी एक घटना सुनाने का साहस कर रहा हूँ. आशा है आपको पसंद आएगी..
कि डेली पैंट शर्ट पहनने वाला पीलू
आज स्किन टाइट पहने
पीछे वाली गली मे खड़ा था
काफ़ी देर से गुप्ता जी के दरवाजे अड़ा था
नीचे गेट के जंगले से कोई झाँक रही थी
बाहर खड़े पीलू की पोज़िशन आंक रही थी
मुझे लगा अपने मोहल्ले की चिर परिचित पूसी है,
अरे नही दोस्तों यह तो गुप्ता जी की लूसी है.
बाहर खड़ा पीलू मंद मंद मुस्कुरा रहा था,
की "तुमसा नही देखा" यही गाना गा रहा था
तभी गुप्ताइन लूसी को लेकर बाहर आईं
देख लूसी को पीलू ने अपनी पूछ हिलाई
भाईसाहब उसके पीछे लग गये
इतने मे लूसी के भ्राता श्री जग गये.
अभी परसों ही इनसे झगड़े थे
और सेहत मैं इनसे मज़े के तगड़े थे
अभी कल ही बिछा बिछा कर मारा था
दवा दारू का खर्च आया हम पर सारा था
की आज फिर लूसी को छेड़ने जा रहे थे
दोबारा मार खाने का प्रोग्राम बना रहे थे.
हम उनसे पूछा "क्यूँ बे मरना है क्या ?"
अकड़ कर बोले प्यार किया तो डरना है क्या.
आज तो पीलू ने दीवानगी की हदे पार दी
देख लूसी को उसे आँख मारदी
की लूसी तो पीलू के ख्यालों मे खो गयी..
तभी बड़ी विकट एक अनहोनी हो गयी.
हाय हमारा पीलू था..... प्यारा,
बड़ी बुरी तरह बेरहमी से मारा.
उधर लूसी की डोली सज रही थी
इधर पीलु की मैयत उठ रही थी.
प्यारी लूसी को कोई और वर गया,
हाय हमारा दीवाना पीलू कंवारा मर गया - २
कि डेली पैंट शर्ट पहनने वाला पीलू
आज स्किन टाइट पहने
पीछे वाली गली मे खड़ा था
काफ़ी देर से गुप्ता जी के दरवाजे अड़ा था
नीचे गेट के जंगले से कोई झाँक रही थी
बाहर खड़े पीलू की पोज़िशन आंक रही थी
मुझे लगा अपने मोहल्ले की चिर परिचित पूसी है,
अरे नही दोस्तों यह तो गुप्ता जी की लूसी है.
बाहर खड़ा पीलू मंद मंद मुस्कुरा रहा था,
की "तुमसा नही देखा" यही गाना गा रहा था
तभी गुप्ताइन लूसी को लेकर बाहर आईं
देख लूसी को पीलू ने अपनी पूछ हिलाई
भाईसाहब उसके पीछे लग गये
इतने मे लूसी के भ्राता श्री जग गये.
अभी परसों ही इनसे झगड़े थे
और सेहत मैं इनसे मज़े के तगड़े थे
अभी कल ही बिछा बिछा कर मारा था
दवा दारू का खर्च आया हम पर सारा था
की आज फिर लूसी को छेड़ने जा रहे थे
दोबारा मार खाने का प्रोग्राम बना रहे थे.
हम उनसे पूछा "क्यूँ बे मरना है क्या ?"
अकड़ कर बोले प्यार किया तो डरना है क्या.
आज तो पीलू ने दीवानगी की हदे पार दी
देख लूसी को उसे आँख मारदी
की लूसी तो पीलू के ख्यालों मे खो गयी..
तभी बड़ी विकट एक अनहोनी हो गयी.
हाय हमारा पीलू था..... प्यारा,
बड़ी बुरी तरह बेरहमी से मारा.
उधर लूसी की डोली सज रही थी
इधर पीलु की मैयत उठ रही थी.
प्यारी लूसी को कोई और वर गया,
हाय हमारा दीवाना पीलू कंवारा मर गया - २
bahut dino baad fir se suni peelu ki daastaan....totally liked it :)
ReplyDeletehe he he he
ReplyDeletesahi hai gurudeo :)
क्या किस्सा बयां किया है पीलू और लूसी का....मजेदार
ReplyDeleteहिन्दी ब्लॉग की दुनिया में आपका स्वागत है दोस्त.. ऐसे ही लिखते रहिये..
ReplyDeleteमजा आ गया यार. लिखते रहो.
ReplyDeleteसुन्दर हास्य! आनन्दित कर दिया आप ने भाई
ReplyDeleteमजा आ गया... सुन्दर हास्य!
ReplyDeleteबेहतरीन पोस्ट लेखन के बधाई
ब्लाग जगत में आपका स्वागत है
आशा है कि अपने सार्थक लेखन से ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।
भिलाई में मिले ब्लागर
सरलता से सुन्दर हास्य पैदा किया हैं । सुन्दर
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