Friday, November 18, 2011

बस ऐसी कोशिश

यह रचना आज मैने खुद नही लिखी, यह आज मेरे दिल ने मुझसे लिखवाई| अंदर कहीं कुछ कचोट रहा था तो ऐसे शब्द बाहर आए| किसी के लिए अश्क यह साधन बनते हैं, मैने अपनी कलम को साधन बना लिया| उम्मीद करता हूँ आपको पसंद आएगी -

आज रो लूँ या मन उदास करूँ,
किस चेहरे पर खुशी की आस करूँ|

यूँ बैठ अकेला कश्ती मे,
साहिल की मैं तलाश करू,
आज रो लूँ या मन उदास करूँ,
किस चेहरे पर खुशी की आस करूँ|

गमगीन शाम के ओझल पट,
किस सुबह की मैं क्यास करूँ,
आज रो लूँ या मन उदास करूँ,
किस चेहरे पर खुशी की आस करूँ|

बिन मोड़ चलीं जाती राहें,
दूर तक  या आँखे पास करूँ,
आज रो लूँ या मन उदास करूँ,
किस चेहरे पर खुशी की आस करूँ|

जब रूहे शुष्क दिल रूठें हों,
किस तरह का मैं उल्लास करूँ,
आज रो लूँ या मन उदास करूँ,
किस चेहरे पर खुशी की आस करूँ|

जिस तरह मिलें दो नदी के छोर,
वो झरना बनने का प्रयास करूँ,
आज रो लूँ या मन उदास करूँ,
किस चेहरे पर खुशी की आस करूँ|

सब अपने गम मे मसरूफ़ से,
मैं अपने गम मे क्या ख़ास करूँ,
आज रो लूँ या मन उदास करूँ,
किस चेहरे पर खुशी की आस करूँ|

सब एक नीड मे साथ हों खुश
बस ऐसी कोशिश हे काश करूँ,
आज रो लूँ या मन उदास करूँ,
किस चेहरे पर खुशी की आस करूँ|

                              अनुराग पांडेय

No comments:

Post a Comment